जब आप अपने वैवाहिक जीवन मे अशांति, कलह ,तनाव और झगड़े का लगातार सामना कर रहे है तो एक तलाक असफलता का संकेत नहीं है विकास और आत्म-बोध (Self realization) की दिशा में एक सही निर्णय है। तलाक लेने का एक सबसे अच्छा तरीका है एक दूसरे पर कम से कम मनोवैज्ञानिक आघात (shock) पहुंचाकर आपसी सहमति से तलाक लेना। म्युचुअल डिवोर्स क्या है और भारत में इसके लिए कौन से दस्तावेज आवश्यक हैं? यह जानने के लिए सभी बातों पर एक नज़र डालना आवश्यक है।
म्युचुअल कांसेंट डिवोर्स क्या है ?
भारत में विवाह तोड़ने की प्रक्रिया पति-पत्नी द्वारा तलाक के लिए फाइल करने से शुरू होती है। पति या पत्नी द्वारा तलाक की सूचना दूसरे को दी जाती है तलाक भारत में विवाह के कानूनी समापन या अंत के रूप में कार्य करता है एक आपसी तलाक एक कानूनी प्रक्रिया है जो तब होती है जब पति और पत्नी दोनों तलाक की इच्छा रखते हैं संबंधित दोनों पक्ष अलग होना चाहते हैं और इसलिए इसे म्युचुअल डिवोर्स माना जाता है। म्युचुअल डिवोर्स के बारे में सबसे अच्छी बात है कि यह तलाक की तुलना में कम खर्चीला और दर्दनाक है।
भारत में डिवोर्स लॉं
आमतौर भारत में शादी का विघटन एक परिवार के वकील द्वारा नियंत्रित होता है। हलांकि डिवोर्स लेने में बहुत सारे इमोशनल उतार-चढ़ाव होते हैं यह काफी दर्दनाक अनुभव हो सकता है क्योंकि यह आपके वैवाहिक संबंधों के अंत का समय है| भारत विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं का मिलाव है इसलिए हमारे पास अलग-अलग कम्यूनिटी के लिए अलग-अलग विवाह कानून हैं इसलिए डिवोर्स उस विशेष समुदाय के विवाह रीति-रिवाजों (customs) या नियमों के अनुसार होता है उदाहरण के लिए सभी हिंदू , सिख , जैन , और बौद्ध विवाह और तलाक हिंदू मैरिज एक्ट 1955 में निर्धारित नियमों के अनुसार होते हैं जबकी मुस्लिम विवाह अधिनियम 1939 के अधिकार क्षेत्र के अनुसार मामले और फैसले से आते हैं।
इसी तरह पारसी विवाह और तलाक को पारसी विवाह और तलाक अधिनियम 1936 द्वारा निर्धारित है इसके अलावा भारतीय न्यायपालिका ने विशेष विवाह अधिनियम 1956 को भी लागू किया है जो विभिन्न समुदायों और जातियों से संबंधित हैं यदि पति या पत्नी में से कोई एक विदेशी देश से संबंधित है तो तलाक विदेशी विवाह अधिनियम 1969 के नियमों के अनुसार होता है।
कुछ महत्वपूर्ण बातें
- पति और पत्नी दोनों को तलाक के लिए फाइल करने के लिए तैयार होना चाहिए|
- पति-पत्नी को आपसी तलाक के लिए फाइल करने से पहले कम से कम एक साल के लिए अलग रहना चाहिए|
- जब दोनों पक्षों को लगता है कि वे अब साथ नहीं रह सकते हैं|
- पार्टियों ने कम से कम एक वर्ष एक विवाहित जोड़े के रूप में बिताया है|
- आपसी तलाक निम्नलिखित कानूनों के दायरे में आते हैं:
- हिंदू विवाह एक्ट 1955 – धारा 13B (1-वर्ष अलगाव कम से कम)
- विशेष विवाह एक्ट 1954 – धारा 28
- तलाक एक्ट 1869 – धारा 10 ए (2-वर्ष का अलगाव न्यूनतम)
- पारसी विवाह एक्ट 1936 – धारा 32 बी
- ईसाई और मुस्लिम विवाह एक्ट
- पति-पत्नी को तलाक के लिए सहमति बनाने के लिए कोई जबरदस्ती, अनुचित प्रभाव या धोखाधड़ी नहीं|
- समझौता या सामंजस्य की कोई संभावना नहीं
भारत में आपसी तलाक के लिए आवश्यक दस्तावेज
- पति और पत्नी का पता प्रमाण
- याचिकाकर्ता (Petitioner) के पेशे और उनके वर्तमान पारिश्रमिक का विवरण – वेतन पर्ची / नियुक्ति पत्र
- पिछले 3 वर्षों के आयकर विवरण
- पेटीशनर की पारिवारिक बैक ग्राउंड के बारे में जानकारी
- याचिकाकर्ता के स्वामित्व वाली संपत्ति
- शादी का निमंत्रण कार्ड
- विवाह प्रमाण पत्र
- एक वर्ष से अधिक समय तक अलग-अलग रहने वाले जीवनसाथी दिखाने के प्रमाण
- साक्ष्य (एविडेन्स) दिखाते हुए सुलह के असफल प्रयास
- शादी की चार तस्वीरें
ये सभी आपसी सहमति तलाक के लिए आवश्यक दस्तावेज हैं|