धारा 80 ई: शिक्षा ऋण पर आयकर कटौती द्वारा Shreya Pandey - सितम्बर 23, 2019 Last Updated at: Mar 28, 2020 3102 देश में शिक्षा की लागत में पहले के अपेक्षा अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जिसकी वजह से कई लोग आज भी उच्च शिक्षा लेने से पहले कई बार फ़ीस या फिर अन्य खर्चों के बारे में सोचते हैं। इतना ही नहीं, कुछ लोग तो फीस के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होने की वजह से पढ़ाई ही छोड़ देते हैं या फिर दाखिला ही नहीं लेते हैं, लेकिन भारत के प्रत्येक नागरिक को शिक्षा संबंधित लोन या ऋण लेने का अधिकार है। शिक्षा ऋण की मदद से प्रत्येक छात्र अपनी उच्च शिक्षा को आसानी से पूरी कर सकता है। बता दें कि आयकर की धारा 80 ई छात्रों की मदद के लिए आती है, जिसके तहत शिक्षा ऋण की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, यह खंड विशेष रूप से शैक्षिक ऋणों को पूरा करता है, जो भारत या विदेश में उच्च अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए ऋण लेने की योजना बना रहा है, जिससे नागरिकों को काफी फायदा मिलेगा। निचे आप देख सकते हैं हमारे महत्वपूर्ण सर्विसेज जैसे कि फ़ूड लाइसेंस के लिए कैसे अप्लाई करें, ट्रेडमार्क रेजिस्ट्रशन के लिए कितना वक़्त लगता है और उद्योग आधार रेजिस्ट्रेशन का क्या प्रोसेस है . Register a Company PF Registration MSME Registration Income Tax Return FSSAI registration Trademark Registration ESI Registration ISO certification Patent Filing in india भारत में उपलब्ध विकल्पों की तुलना में विदेशी विश्वविद्यालय अपने शुल्क ढांचे पर तुलनात्मक रूप से भारी हैं। इसके अलावा, बुनियादी ट्यूशन शुल्क में क्या जोड़ा जाता है, यात्रा, निवास, लैपटॉप और स्मार्टफोन जैसे अनिवार्य अध्ययन सामग्री उपकरणों के लिए खर्च छात्र द्वारा ही वहन किए जाते हैं। ऐसे में, आयकर अधिनियम की धारा 80 ई की शुरूआत उन करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत है, जो उच्च शिक्षा खर्च और बढ़ते हुए कर्ज के ब्याज को बढ़ाते हैं। ऐसे में वकील सर्च यहां आपको धारा 80 ई से जुड़ी तमाम जानकारी दे रहा है, जिसकी मदद से आप भविष्य में इसका फायदा ले सकते हैं। 1.धारा 80 ई के तहत क्या शामिल है? 2.धारा 80 ई के तहत कटौती के लिए कौन आवेदन कर सकते हैं? 3.धारा 80 ई के तहत दावा क्यों? 4.धारा 80 ई के तहत दावा कैसे करें? 1.धारा 80 ई के तहत क्या शामिल है? धारा 80 ई में एक पति या पत्नी, जिन बच्चों के कानूनी अभिभावक है, उनकी ओर से शिक्षा ऋण लिया जाता है, जोकि धारा 80 ई के तहत कटौती के लिए लागू होते हैं। एक अन्य महत्वपूर्ण तत्व जो यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि जो ऋण लिया गया है, वह धारा 80 ई के तहत योग्य है या नहीं, जिसके लिए ऋण को वित्तीय से लिया जाना चाहिए (बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के अनुसार काम करने वाला कोई भी बैंक और क्षमता में है) ऐसी सेवा प्रदान करें। या धर्मार्थ संस्थान (धारा 10 के 23C के खंड के तहत किसी भी उल्लेखित प्राधिकारी। बता दें कि यह किसी भी विश्वविद्यालय या शैक्षणिक संस्थान को केवल शैक्षिक उद्देश्य, ट्रस्टों या संस्थाओं के लिए स्थापित कर सकता है, जो धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्य के लिए स्थापित हैं, जो संस्थान संदर्भित हैं, जोकि धारा 80 ई के तहत ही उल्लेखनीय है। यदि उक्त धारा के तहत दावा किया जा रहा ऋण किसी संस्था से नहीं लिया गया है, बल्कि आपके नियोक्ता या किसी करीबी रिश्तेदार से लिया गया है, तो उसमें उपार्जित ब्याज धारा 80 ई के दायरे में नहीं आएगा और फिर इसके तहत मिलने वाली छूट का भी फायदा नहीं उठाया जा सकता है। इनकम टैक्स रिटर्न्स फाइल करें 2.धारा 80 ई के तहत कटौती के लिए कौन आवेदन कर सकते हैं? एक विचार करना चाहिए कि धारा 80 ई के तहत कटौती का लाभ उठाने के लिए आवेदक को एक व्यक्ति होना चाहिए, न कि एक कानूनी व्यक्तित्व। उदाहरण के लिए, एक एचयूएफ, एक कंपनी या एक फर्म के नाम पर लिया गया ऋण, धारा 80 ई के तहत प्रतिपूर्ति के हकदार नहीं है। दरअसल, धारा 80 ई के तहत कटौती के लिए आवेदन करने के लिए कुछ बुनियादी पात्रता मानदंड हैं, जिनकी चर्चा निम्नलिखित है- केवल व्यक्ति कर कटौती के लिए पात्र हैं, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) और कंपनियां इस धारा के तहत कटौती का लाभ नहीं उठा सकती हैं। साथ ही, दोस्तों या रिश्तेदारों से लिया गया ऋण इस धारा के तहत पात्र नहीं है। केवल ब्याज घटक पर आयकर कटौती का दावा किया जा सकता है। लाभ का दावा माता-पिता के साथ-साथ बच्चे द्वारा भी किया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि वह व्यक्ति जो शिक्षा ऋण का भुगतान करता है, वह कटौती के लिए दावा कर सकते हैं। मतलब साफ है कि माता-पिता या बच्चे इस कटौती का दावा करना शुरू कर सकते हैं। कटौती का लाभ तभी उठाया जा सकता है, जब उच्च शिक्षा को वित्त देने के लिए ऋण लिया जाता है, वरना इसका फायदा नहीं लिया जा सकता है। कटौती का लाभ केवल 8 साल के लिए ही लिया जा सकता है। आप 8 साल से अधिक की कटौती का दावा नहीं कर सकते। कटौती का लाभ तभी उठाया जा सकता है, जब ऋण का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी व्यक्ति के नाम पर लिया जाता है, अन्यथा आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। उपरोक्त शर्तों या बुनियादी ज़रूरत को पूरा करने के बाद ही आप इसका फायदा ले सकते हैं। मोटे शब्दों में कहें तो धारा 80 ई के तहत शिक्षा ऋण पर मिलने वाली छूट के लिए यह ज़रूरी है कि लोन उच्च शिक्षा के लिए ही लिया गया हो। बता दें कि शिक्षा के लिए ऋण लेने के लिए बैंक आपसे कुछ दस्तावेज़ मांग सकते हैं, जिसमें आपकी मार्कशीट, पिछले क्लास की डिग्री, दाख़िला लेने का सबूत, जिसमें कॉलेज द्वारा साइन किया हुआ लेटरपैड आदि शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा पहचान और निवास का प्रमाण भी मांग जा सकता है। 3.धारा 80 ई के तहत दावा क्यों? धारा 80 ई के तहत उपलब्ध लाभ यह है कि कोई भी व्यक्ति, जिसने उच्च शिक्षा के लिए ऋण के लिए आवेदन किया है, वह आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 ई द्वारा प्रदान की गई कर बचत का लाभ उठा सकता है। भले ही किसी व्यक्ति ने आईएनआर की अधिकतम उपलब्ध कटौती का लाभ उठाया हो। इतना ही नहीं, धारा 80 सी के तहत 1,50,000, वे अभी भी धारा 80 ई के तहत कटौती का लाभ उठा सकते हैं। धारा 80 सी और 80 ई के ऑपरेटिव क्षेत्रों के बीच अंतर की एक पतली रेखा है, जिससे घबराना नहीं चाहिए। बता दें कि पूर्व शिक्षा के लिए भुगतान की गई ट्यूशन फीस के संबंध में कटौती का प्रावधान करता है, जबकि उत्तरार्द्ध उच्च शिक्षा के लिए लिए गए ऋण पर ब्याज के लिए कटौती है। 4.धारा 80 ई के तहत दावा कैसे करें? धारा 80 ई के तहत उपलब्ध कटौती उच्च अध्ययन के लिए लिए गए ऋण पर दिए गए ब्याज से संबंधित है। इस योजना के लिए आकर्षक बात यह है कि इसकी कोई ऊपरी सीमा नहीं है, जिसका लाभ कुछ शर्तें पूरा करके उठाया जा सकता है। बता दें कि यह कटौती के तहत मूल राशि को कवर नहीं करता है, बल्कि ब्याज की पूरी राशि का भुगतान करता है, जिससे लोन के बोझ को थोड़ा कम किया जा सकता है। इतना ही नहीं, सीमा की मात्रा उक्त धारा के तहत दावों के लिए निर्धारक नहीं है। बताते चलें कि विचार किया जाने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह पूर्ण रूप से आवश्यक है कि लोन लेने का उद्देश्य उच्च अध्ययन, यानी, वरिष्ठ माध्यमिक परीक्षा के बाद पूरा होना है। यह पाठ्यक्रम के प्रकार तक सीमित नहीं है। ऐसी स्थिति में यह भारत के अंदर या बाहर एक नियमित और साथ ही एक व्यवसाय पाठ्यक्रम भी हो सकता है। मतलब साफ है कि आयकर द्वारा उन विद्यार्थियों के लिए धारा 80 ई के तहत किये संशोधन किसी उपहार से कम नहीं है, जिसकी मदद से वो अपनी पढ़ाई बिना किसी रोक टोक के शर्तों के आधार पर कर सकते हैं।