क्या प्रोविडेंट फंड पे टैक्स लगता है? द्वारा Admin - अगस्त 5, 2020 Last Updated at: Aug 05, 2020 1022 Latest Update आमतौर पर ईपीएफ एकाउंट से फाइव इयर्स की कांतिन्यू सर्विस कंप्लीट होने से पहले निकाले गए टैक्स अट्रेक्ट करते हैं। आप अपने एकाउंट में तीन महीने का वेतन (बेसिक सेलरी इंफलेशन एलोवेन्स या कुल ईपीएफ रेस्ट एमाउंट का 75% तक निकाल सकते हैं। सरकार ने ईपीएफ क्लीयरेंस नियमों में अमेंडमेंट किया है, जो ईपीएफ मेम्बर्स को अपने ईपीएफ एकाउंट से कोरोनावायरस के कारण एमर्जेंसी सिचुएशन में धन निकालने की परमिशन देता है । आप में से अधिकांश लोगो का यह सवाल होगा की क्या प्रोविडेंट फण्ड के पैसे पर टैक्स लागू है। आप ध्यान दें ईपीएफ पर कमाए गए ब्याज और मैच्योर होने पर मिलने वाली रकम दोनों टैक्स फ्री है। आप जानते होंगे की पांच वर्षों से पहले आप प्रोविडेंट फण्ड से पैसा निकलना मुश्किल है और कुछ खास शर्तों पर ही निकल सकते हैं। फिर भी अगर आप पांच वर्षों के पहले अपना प्रोविडेंट फण्ड से कुछ राशि निकलते हैं तो उसपे टैक्स लागु होता है। आइये इस ब्लॉग में प्रोविडेंट फण्ड से जुडी ख़ास बातों पर ध्यान दें। ईपीएफ एकाउंट कैसे काम करता है? ईपीएफ एक्ट के तहत स्टाफ के एक मेम्बर को अपनी मंथली इन्कम का 12 प्रसेंट ईपीएफ एकाउंट में कंट्रीव्यूट करना होता है। कंपनी द्वारा एक एक्वल एमाउंट का योगदान दिया जाता है। किसी लेबर के पीएफ एकाउंट में सबमिट की गई एमाउंट उसी तरह व्यक्ति की सर्विस के माध्यम से इन्टरेस्ट प्राप्त करती है। अभी तक, ईपीएफ एकाउंट पर इन्टरेस्ट रेट इयर्ली 8.55 परसेंट है। एक ईपीएफ पेयर्स को रिटायरमेंट पर अपनी ईपीएफ एमाउंट रिटर्न लेनी चाहिए। दूसरी ओर व्यक्ति वैसे ही स्पेसिफिक सिचुएशन में एमाउंट को रिटर्न ड्रॉ कर सकते हैं जिनमें मेडिकल ट्रीटमेंट , मैरेज प्रीपेयरेशन में फाइनेंसिएल हेल्प और एक नया घर खरीदना आदि शामिल हैं। क़ानूनी सलाह लें EPF क्लीयरेंस – ईपीएफ क्लीयरेंस अप्रेजल योग्य है यदि कोई रिप्रजेन्तेटिव फाइव इयर्स से कम समय के लिए कंटिन्यू एडमिनिस्ट्रेशन को प्रेसेंट नहीं करता है। अगर फाइव इयर्स के भीतर नौकरी चेंज की स्थिति है, और अगर EPF एकाउंट को किसी अन्य कंपनी के नाम पर मूव्ड़ किया जाता है तो न्यू कंपनी के ओनर के काम की ड्यूरेशन इसी तरह रेलेवेंट पिरिएड का पता लगाने के लिए शामिल है। यदि सर्विस का कंप्लीट टाइम फाइव इयर्स से कम है तो क्लियरेंस के बजट ईयर में कलेक्टेड ईपीएफ बैलेंस बैक ड्रॉ किया जाता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि किसी भी ईपीएफ कामिटमेंट के लिए चार ब्लॉक हैं –एम्प्लोयी मेम्बरशिप, बिजनेस मेम्बरशिप और एम्प्लोयर के कार्य और मेम्बरशिप दोनों से प्राप्त प्रीमियम । यदि कांतिन्यू इम्प्लॉइमेंट का समय फाइव इयर्स से कम है तो ईपीएफ के लिए बिजनेस कामिटमेंट की एमाउंट और उस पर रिसिव प्रीमियम एम्प्लोयी के इन्कम टैक्स रिटर्न में मेन सेलरी के तहत टैक्स योग्य है। क्लियरेंस के लिए व्यक्ति का अपना योगदान शेयर टैक्स योग्य नहीं है। हालांकि यदि कस्टमर ने प्रिअर ईयर में अपनी कामिटमेंट पर करेंट 80C के तहत कांलुजन निकाला था तो यह टैक्स योग्य अंडर पे को हवा देता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ईपीएफ के प्रति ईपीएफओ पेयर्स का बहुत ही कंट्रीब्यूशन इन्कम टैक्स एक्ट की करेंट 80 सी के तहत कांलुजन के लिए योग्य है। ईपीएफ पेयर्स के वनसेल्फ के पार्ट पर प्राप्त प्रीमियम डिफिरेंट सोर्स से सेलरी के तहत टैरिफ है। ईपीएफ एमाउंट को फाइव इयर्स के इम्प्लॉइमेंट से पहले बाहर निकालने पर टीडीएस या 10% की रेट से डीडक्ट की जाती है। हालाँकि कुछ मामलों में एक्जांपल के लिए यदि कोई एमाउंट Rs 50 , 000 या एम्प्लोयर कंपनी को क्लोज नहीं कर रही है तो टीडीएस नहीं लिया जाता है। यदि टोटल 50 , 000 रुपये से अधिक है और इम्प्लॉइमेंट सर्विस की पिरिएड फाइव इयर्स से कम है, तो सपोर्टर उन सिचुएशन में टीडीएस से दूर रहने के लिए फॉर्म 15G या 15H सबमिट कर सकता है जहां उस वर्ष का पेमेंट टैक्स एलीजीबल एमाउंट से बहुत कम है । फॉर्म 15H सीनियर सिटीजन्स (60 वर्ष या अधिक) के लिए है और फॉर्म 15 जी उन लोगों के लिए है जिनका कोई टैक्स एलीजीबल सेलरी नहीं है।